
अंतरिक्ष से घर वापस लौटीं सुनीता विलियम्स, 9 महीने बाद हो रही है घर वापसी!
आज ब्रह्माण्ड की उस महान बेटी का, धरती मां की गोद में सहर्ष स्वागत है। जो भारतीय मूल की एक अमेरिकी नागरिक हैं, यह परिचय नहीं रह गया है उस महान महिला का, बल्कि उसका नाम और परिचय तो ब्राह्मण की बेटी के रूप में होना चाहिए। क्या सच में इस अद्भुत रहस्यों से भरे ब्रह्माण्ड ने नौ महिनों बाद पुनर्जन्म नहीं दिया है हमारी बिटिया सुनीता विलियम्स को ?
ब्रह्मांड की अनंत गहराइयों में, जहां तारे चुपचाप अपनी कहानियां बुनते हैं और ग्रह अपने रहस्यों को सहेजते हैं, वहां एक ऐसी बेटी ने कदम रखा, जिसने न केवल अंतरिक्ष को छुआ, बल्कि धरती के हर दिल में अपनी छाप छोड़ी। यह कहानी है सुनीता विलियम्स की, एक भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री की, जिनका नौ महीने बाद धरती पर लौटना किसी पुनर्जन्म से कम नहीं है। यह कहानी विज्ञान, साहस और उस अटूट विश्वास की है, जो मानवता के लिए असंभव को संभव बनाने की प्रेरणा देती है।
अंतरिक्ष का आलिंगन
सुनीता विलियम्स, जिनका जन्म 19 सितंबर 1965 को अमेरिका के ओहियो में हुआ, एक ऐसी महिला हैं जिनके सपनों की कोई सीमा नहीं थी। उनके पिता दीपक पांड्या, गुजरात से अमेरिका आए एक न्यूरोसर्जन थे, और मां बॉनी स्लोवेनियाई मूल की महिला। सुनीता ने बचपन से ही आसमान को अपना दोस्त बनाया। अमेरिकी नौसेना में पायलट बनने से लेकर नासा की अंतरिक्ष यात्री बनने तक, उनका सफर प्रेरणा का एक जीवंत चित्र है। 5 जून 2024 को, जब वह बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हुईं, तो यह केवल आठ दिनों का मिशन था। उनके साथ थे उनके सहयोगी बुच विल्मोर, एक अनुभवी अंतरिक्ष यात्री, जिनका शांत स्वभाव और तकनीकी कौशल इस यात्रा का आधार बना।
लेकिन नियति के अपने इरादे थे। स्टारलाइनर में तकनीकी खराबी—हीलियम रिसाव और थ्रस्टर की समस्या—ने उनकी वापसी को अनिश्चित बना दिया जो आठ दिन थे , वो अब नौ महीनों में बदल गए थे। अंतरिक्ष की उस अनंत शून्यता में, जहां हर सांस एक संघर्ष और हर दिन एक चुनौती थी, सुनीता और बुच ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने वैज्ञानिक प्रयोगों को जारी रखा, अंतरिक्ष स्टेशन की मरम्मत की, और स्पेसवॉक के नए कीर्तिमान स्थापित किए। सुनीता ने 62 घंटे से अधिक का स्पेसवॉक समय पूरा कर महिलाओं के बीच एक नया रिकॉर्ड बनाया।
सहयोगियों का साथ:-
इस मिशन में सुनीता और बुच अकेले नहीं थे। उनके साथ बाद में शामिल हुए निक हेग नाम के एक और अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री, जिनकी हंसी और ऊर्जा ने आईएसएस के माहौल को हल्का रखा, और रूसी कॉस्मोनॉट अलेक्जेंडर गोरबुनोव, जिनका तकनीकी ज्ञान और धैर्य इस टीम की रीढ़ बना। ये चारों एक परिवार की तरह बने, जो अंतरिक्ष की कठिनाइयों का सामना करते हुए भी एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते रहे। सुनीता ने दीवाली जैसे त्योहारों को अंतरिक्ष में मनाया, अपनी भारतीय संस्कृति को याद करते हुए श्री मद्भागवत गीता और उपनिषदों से प्रेरणा ली।
स्पेसएक्स:-
विज्ञान का चमत्कार –
जब बोइंग स्टारलाइनर की वापसी संभव नहीं हुई, तो नासा ने एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को यह जिम्मेदारी सौंपी। स्पेसएक्स, जिसका नाम आज विज्ञान और नवाचार का पर्याय बन चुका है, ने अपने ड्रैगन अंतरिक्ष यान को तैयार किये। यह वही कंपनी है जिसने विगत वर्षो में फाल्कन-9 रॉकेट से अंतरिक्ष यात्रा को नए आयाम दिए थे और बूस्टर रॉकेट को हवा में “पकड़ने” जैसा चमत्कार कर दिखाया था।
17 मार्च 2025 को, क्रू-9 मिशन के तहत ड्रैगन यान आईएसएस पहुंचा, जिसमें सुनीता और उनके तीनों साथियों के लिए जगह थी।
19 मार्च 2025 को, लगभग सत्रह घंटे की यात्रा के बाद, यह यान रात 3.27 मिनट पर फ्लोरिडा के तट पर समुद्र में उतरा। वह दृश्य अविस्मरणीय था—चार पैराशूट्स के साथ धीरे-धीरे नीचे आता हुआ ड्रैगन, समुद्र की लहरों पर थमता हुआ, और फिर चार अंतरिक्ष यात्रियों का बाहर निकलना। सुनीता की मुस्कान, बुच का शांत संतोष, निक की उत्साहित लहर, और अलेक्जेंडर का गर्व यह सब उस विजय का प्रतीक था जो मानवता ने हासिल की है।
चमत्कार और जयकार:-
सुनीता विलियम्स का धरती पर लौटना वाकई एक पुनर्जन्म जैसा ही लगता है। नौ महीने तक अंतरिक्ष में रहने के बाद, जहां गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति ने उनके शरीर को कमजोर किया, जहां हर दिन एक नई चुनौती थी, वहां आज उनकी वापसी एक चमत्कार से कम नहीं है। स्पेसएक्स ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया, और इसके पीछे थे वे महान वैज्ञानिक और इंजीनियर, जिन्होंने ऐसे यान बनाए जो अंतरिक्ष के रहस्यों को खोल सकें।
इस कहानी में सुनीता ब्रह्मांड की बेटी बनकर उभरीं हैं, एक ऐसी महिला जिसने न केवल अपने सपनों को जिया, बल्कि दुनियां को दिखाया कि हौसला और विज्ञान मिलकर क्या कर सकते हैं। उनके साथ बुच, निक, और अलेक्जेंडर ने भी अपने-अपने तरीके से इस महान यात्रा को यादगार बनाया। यह कहानी नासा और स्पेसएक्स की साझेदारी की जीत है, और उस मानव हृदय के असीमित सोच की, जो कभी हार नहीं मानता।
जय हो उन सभी महान वैज्ञानिकों की, जय जयकार हो सभी शोधकर्ताओं की, धन्य हैं वे इंजीनियर, और गर्व है हमें सुनीता विलियम्स पर ।
ब्रह्मांड की इस साहसी बेटी पर समूचे विश्व को आज नाज है!
सदैव आपकी जय जयकार धरती ही नहीं समूचे ब्रह्माण्ड में गूंजती रहेगी !
बाकलम – अजय साहनी स्टार – Mobile – 9224580798