केजरीवाल

दिल्ली का राऊज एवेन्यू कोर्ट , आप जिसे निचली अदालत भी कह सकते हैं । तारीख थी 20 जून 2024, एक मुकदमे पर बहस चल रही थी जो ED यानी प्रवर्तन निदेशालय और दिल्ली सरकार यानी आम आदमी पार्टी के मुखिया तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वकीलों के बीच हो रही थी । यहां पर एक अभूतपूर्व फैसला देखने को मिला ।

जी हां , न्याय की जीवन्त मूरत, न्यायाधीश मैडम न्यायबिंदु का अरविन्द केजरीवाल को जमानत देने वाला फैसला ! न्यायबिंदु नाम सुनकर कैसा लग रहा है आप लोगों को ? सोच कर देखिए, जिसने अपने नाम के साथ भी इंसाफ किया हो, अपने नाम की मर्यादा रखी हो, जिस नाम को माता पिता ने बचपन में रखा होगा, न्याय बिंदु ! जिसने अपने नाम के साथ न्याय किया हो वह किसी मुकदमे पर कैसे अन्याय कर सकता है या कर सकती हैं ? तो मैं बात कर रहा था न्यायमूर्ति कहलाने की हकदार मैडम न्यायबिंदु के बारे में , जो राऊज एवेन्यू कोर्ट में जज की कुर्सी पर बैठी थीं और उन्होंने केजरीवाल के पक्ष में उनकी जमानत याचिका को मंजूर करते हुए 20 जून 2024 को जमानत दे दिया और यह भी कहा कि इसलिए अरविंद केजरीवाल को जमानत दे देना चाहिए क्योंकि ईडी के पास पर्याप्त सबूत नहीं है इन्हें गिरफ्तार करने के लिए या फिर इनके खिलाफ गवाही पेश करने के लिए, इनको अपराधी सिद्ध करने के लिए , इनको भ्रष्टाचारी बताने के लिए, यह बात यूं तो ईडी को नागवार गुजरी और उसने न्यायबिंदु के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दिया , जी हां स्टे ले लिया गया ।

हाईकोर्ट ने न्यायबिंदु के फैसले को सिरे से खारिज कर दिया । क्या यह सिर्फ इसलिए किया गया कि वह निचली अदालत में बैठी हुई जज थीं , क्या उनके पास जजमेंट का कोई हक या फिर समझ नहीं था ? आखिर यह हो क्या रहा है देश में, आप सबको दिखाई दे रहा है क्या ? क्या ऐसा नहीं लगता कि यह जो हमारी एजेंसियां हैं चाहे वह ईडी हो या फिर अब सीबीआई यह सचमुच में केंद्र सरकार के इशारे पर एक चुनी हुई सरकार और उसके मुख्यमंत्री या फिर अन्य तमाम विपक्षी नेताओं को परेशान करने , बदनाम करने और एक ऐसी पार्टी जो विगत 10 वर्षों में जमींदोज करने की पुरजोर कोशिश नहीं है जिसने अपने आप को पूरे देश में राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर स्थापित कर दिया । उसे खत्म करने की कवायत नहीं है ये ? इसलिए भी यह बात कहनी पड़ रही है कि अभी ईडी का मसला खत्म ही नहीं हुआ था कि सीबीआई बीच में कूद पड़ी आखिर यह किसके कहने पर हो रहा है ? आखिर यह क्यों हो रहा है ? यह प्रश्न बहुत आम है , आप लोगों को समझना होगा पूरी बात को , पूरे सिस्टम को ।

अरविंद केजरीवाल को जिस तरह से गिरफ्तार किया गया और ठीक चुनाव के दरमियान प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से जमानत दिया और उसके बाद अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में स्वयं को 3 जून को सरेंडर किया और उसके बाद से एक कोशिश कर रही थी आम आदमी पार्टी कि अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल जाए क्योंकि उन पर आरोप जो लगाया गया है वह इतना भी बड़ा नहीं है, जो इतना भी ठोस सबूत के साथ नहीं है कि उन्हें इतने लंबे अवधि तक जेल में रखा जाए लेकिन न जाने क्यों प्रवर्तन निदेशालय को और हमारे सेंट्रल ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन यानी सीबीआई को इतना ज्यादा व्यक्तिगत रुचि अरविंद केजरीवाल में क्यों दिखाई दे रही है ?
या फिर यह केंद्र में बैठे कुछ दिग्गज नेताओं के इशारों पर सारी कवायद और सारी कार्वाइयां तो नहीं हो रही हैं इन सब बातों को समझना होगा और यह समझने की कोशिश करनी होगी कि दिल्ली में किए गए विगत वर्षों में अभूतपूर्व विकास कार्य के बदले में क्या अरविंद केजरीवाल को सचमुच में यही मिलना चाहिए था और शराब नीति में बदलाव को लेकर या शराब नीति में फेर बदल या धोखाधड़ी , भ्रष्टाचार के आरोप मढ़कर जिस तरह से मनीष सिसोदिया को या फिर पार्टी के कुछ और बड़े नेताओं को या फिर हाल फिलहाल में स्वयं पार्टी के मुखिया, सर्वेसर्वा , दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जिस तरह से फंसा दिया गया यह इतना भी बड़ा अपराध नहीं था।

केजरीवाल व उनके लोगों ने दिल्ली राज्य को चलाने के लिए शराब नीति में जो बदलाव करने की कवायद की थी भले उसकी किरकिरी हुई और इन लोगों ने आनंद-फानन में उसे वापिस ले लिया । जो बदलाव किया था उन्हें वापस लेना कुछ कुछ वैसा ही है, जैसे कृषि कानून लागू कर दिया गया था, तीन काले कानून और उसके खिलाफ देश भर के किसान एकजुट होकर धरने पर बैठ गए , पूरे एक वर्ष तक लगातार दिल्ली और हरियाणा के बॉर्डरों पर बैठे किसानों का आंदोलन तूल पकड़ा था , मगर क्या सरकार को उनके सामने सिर झुकाना नहीं पड़ा ?? सारे जो तानाशाही फैसला और काले कानून थे उन्हें वापस लेना पड़ा, वैसे ही अरविंद केजरीवाल ने भी अपने खिलाफ हो रहे साजिश या फिर अपने ऊपर लग रहे आरोपों को मद्दे नजर रखते हुए। दिल्ली शराब माफियाओं के लिए हिम्मत जुटा कर, कानून में, शराब नीति में जो बदलाव किए गए थे उनको वापस ले लिया तो इसमें बुरा ही क्या है वह एक ऐसा बदलाव था जिससे गरीब व आम आदमी को तो कोई परेशानी नहीं होगी।
जैसे कि आप स्वयं सोचिए शराब की दुकान कौन चलाता है ? क्या वह छोटे-मोटे व्यवसायी होते हैं , ठेला खूमचा चलने वाले लोग होते हैं या भरपूर धन सम्पदा के मालिक होते हैं ? वह लोग अच्छा खासा रुपया रखे हुए रसूखदार लोग होते हैं , जो लोग बियर शॉप या अंग्रेजी शराब की दुकान आज चलते हैं अगर उन लोगों से इन लोगों ने कुछ रुपए वसूलने का अतिरिक्त टैक्स या कुछ एक्स्ट्रा इनकम करने का सरकार ने योजना बनाया था तो इसमें बुरा ही क्या था ! ठीक तो था उनसे कमाया जाता और सरकार के द्वारा गरीबों में उन पैसों को लगाया जाता लेकिन ऐसा हो ना सका यह ख्वाब अधूरा का अधूरा रह गया |

और साथ ही साथ बदनामी या जो हुई वह अलग कानून का दांव पेज खेलकर जो इन्हे जेल में ठूंसने और जमानत न मिलने की कवायत हुई है। वह (ईडी या सीबीआई) जैसे कि लगातार अरविंद केजरीवाल को फंसाए रखना चाहती है केन्द्र सरकार ! सरकार से अलग-थलग पड़ जाने, सरकार को गिरा देने जैसे सारे सांसदों को खरीद फरोख्त कर लेने वाली पार्टी तो जैसे AAP को मटिया मेट कर देने की जो पुरजोर कोशिश कर रही है उसको देखते हुए यही लगता है कि जो ताकतवर होता है, किसी को भी किसी भी सूरत में चैन से रहने नहीं देगा , अरविंद केजरीवाल के पीछे ईडी तो लगी ही थी अब सीबीआई भी लग गई है, सीबीआई ने गिरफ्तार करके अरविंद केजरीवाल को आज सुप्रीम कोर्ट में पेश करने का कार्य कर रही है , और अब वहां से क्या उन्हें जमानत मिलती है यह बात देखने वाली होगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट और ईडी दोनों मिलकर यह पुरजोर कोशिश करेंगे कि अरविंद केजरीवाल को किसी भी तरह से रिहाई न मिले या जमानत ना मिले तो इस वीडियो को जरूर संज्ञान में लें ! जबकि न्याय बिंदु ने निचली अदालत राऊज एवेन्यू कोर्ट से एक लाख के निजी मुचलके पर उन्हें जमानत दे दिया था ।

अक्सर आप लोग जानते ही होंगे, देखे भी होंगे कि निचली अदालतों के फैसलों को ऊपरी अदालतें प्राथमिकता देती हैं , यानी वह अपने न्यायाधीशों को तवज्जो देती है , सम्मान देती है। उनके फैसलों जजमेंटों को कदर करती हैं लेकिन यहां पर ऐसा नहीं हुआ, यहां पर तो सुना ही नहीं गया , पढ़ाया भी नहीं गया कि आदेश में सही मायने में न्यायबिंदु की कोर्ट ने क्या लिखा है । हाईकोर्ट ने तो आव देखा न ताव, सीधे बस रोक लगा दिया जमानत पर और यह भी कह दिया कि यह फैसला लेने में यहां बड़ी चूक हुई है, “निचली अदालत के तरफ से मामले की गंभीरता को समझा ही नहीं गया” क्या मामले की गंभीरता को समझना इसे ही कहते हैं ? इसे ही कहते हैं क्या सही फैसला कि आप जब किसी बड़े नेता , बड़ी पार्टी या फिर केंद्र सरकार के दबाव में आकर किसी प्रदेश सरकार के नेता या मुखिया या क्षेत्रीय पार्टी के किसी पदाधिकारी को लपेट लें , दबोच लें यही है ? आपका न्याय यही है , आपका ईमानदारी से काम करना !

यही आलम रहा तो लोगों को भरोसा उठ जाएगा कोर्ट और कचहरी से, न्यायाधीशों से, जजों से ।।
अब देखना होगा कि हाई कोर्ट के फैसले को जो चुनौती आम आदमी पार्टी ने दिया है उस पर क्या सुनवाई करता है सुप्रीम कोर्ट ! क्या अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलती है या फिर उन्हें ऐसे ही लटकाए रखा जाता है ? इस पूरे फैसले को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता , राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया है कि पूरा देश देख रहा है किस तरह से एक चुने हुए मुख्यमंत्री को चारों ओर से फंसाने का प्रयास किया जा रहा है और बेवजह सताया जा रहा है, परेशान किया जा रहा है और पार्टी को तोड़ने की पुरजोर कोशिश की जा रही है ।

हमारे सभी नेताओं को, विधायकों को, सबको डराने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं , रुकने वाले नहीं हैं , ऐसा कहा संजय सिंह ने । आप लोगों को बता दें कि जिस तरह से आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल विगत 21 मार्च 2024 को गिरफ्तार किए गए थे और उसके बाद 1 अप्रैल को उन्हें जेल भेजा गया था और उसके बाद आप लोगों को पता होगा 10 मई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दिया था यह कहते हुए कि “आप चुनाव प्रचार कर सकते हैं।” अब इस प्रकार लगातार 21 दिनों तक जेल से बाहर रहकर अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी और इंडिया गठबंधन के पक्ष में वोट मांगा।

पूरे देश में अलग-अलग स्थान पर दौरा करते रहे और अपने उस जमानत के समय को पूरा होता देख एक प्रयास भी किया कि उनकी जमानत अवधि बढ़ा दी जाए लेकिन ऐसा हो ना सका । अंततः वह 3 जून को फिर से तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिए और तभी से लेकर अब यह बातें सामने आई हैं जब 20 जून 2024 को न्यायाधीश न्यायबिंदु जी ने उन्हें एक बार पुनः जमानत तो दे दिया लेकिन उस पर ग्रहण लग गया , उस पर रोक लगा दिया गया तो ईडी सीबीआई क्या आगे सफलता पाएगी यह देखना होगा 26 जून 2024 को सुप्रीम कोर्ट किसके पक्ष में क्या फैसला सुनाती है !

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जय जयकार जारी रहेगी !!
जय हिन्द! जय भारत!!
लभ यू इंडिया !!!

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