पुष्पा यादव

अंतरराष्ट्रीय पहलवान बनी पुष्पा यादव

भारत के टी – 20 वर्ल्ड कप के जीत की पूरे देश को बधाई ! क्योंकि सत्रह साल बाद देश के खिलाड़ियों ने देश का पूरी दुनियाँ में मान बढा दिया है लेकिन क्रिकेट में इस भारी भरकम जीत की चकाचौंध के बीच गोरखपुर के माड़ापार गाँव की रहने वाली देशी से विदेशी दंगल गर्ल बन जाने वाली पुष्पा यादव के द्वारा देश के लिये गोल्ड मेडल जीतने की खुशी दम ना तोड़ दे । इसलिये चलिये आप सबको उस गरीब पिता की संघर्षशील बेटी की छोटी सी कहानी बता देते हैं जिसने न सिर्फ अपने पिता के साथ चाय की दुकान पर उनका हाथ बंटाया बल्कि खुद को एक धाविका बनाने के लिये लगातार सुबह उठकर लड़कों की तरह दौड़ लगाती रही, कसरत करती रही लेकिन कुदरत को तो पुष्पा को कोई और ही खिताब देना था, सो समय और परिस्थितियों ने उसे पहलवान बना दिया और वह लड़की कुश्ती लड़ने लगी।

जी हाँ , पुष्पा यादव ने जार्डन की राजधानी अम्मान में विगत दिनों आयोजित होने वाले “अंडर – 23 एशियाई चैम्पियनशीप” में भारत के लिये स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा है। लेकिन उसके इस कामयाबी का शोर बहुत जोरशोर पर क्यों लोगों को सुनाई नहीं दे रहा है ? क्योंकि हम बड़े प्रोफेशनल युग में जी रहे हैं, कुश्ती की उपेक्षा पहले इस देश में इतनी नहीं थी लेकिन जबसे क्रिकेट जैसे खेलों ने विश्व स्तर पर धूम मचाया, टीवी पर टी -20 , वनडे जैसे स्लोगन से तमाम उत्पादों के कामर्शियल विज्ञापन चलने लगे तबसे देश में हाकी कुश्ती और ऐसे ही तमाम खेलों में निराशाजनक स्थितियां पैदा होती चली गईं।
खैर अंतरराष्ट्रिय स्तर पर स्वर्ण पदक जीतने वाली गोरखपुर जनपद की पहली महिला पहलवान बनी हैं पुष्पा यादव! जिसे उसने 59 किलो भार वर्ग में जीता है, पुष्पा यादव ने एशियाई चैम्पियनशीप में कुल तीन राउंड की कुश्ती लड़ी जिसमें उसने अपने जिन प्रतिद्वंधियों को पछाड़ा वो हैं – किर्गिस्तान की सेजिम झुमानजरोया , उज्बेकिस्तान की रहने वाली लालोखोंन सोबिरोया और कजाकिस्तान की गुलडाना बिकेश जिनको पुष्पा ने पटखनी दी और भारत के लिये स्वर्ण पदक जीत लिया । इसके साथ साथ आप सबको यह भी बताना जरूरी है कि इस समय पुष्पा यादव “उत्तर प्रदेश पुलिस” में हैं और वह गाजियाबाद में पोस्टेड हैं।

अभावों और गरीबी से लड़कर बनी पहलवान

पुष्पा यादव का बचपन बहुत ही गरीबी और और अभावों में बीता है , पुष्पा अपने तीन भाईयों और दो बहनों में चौथे नम्बर पर आती है, पुष्पा जब छोटी थी तभी उनकी माँ इस दुनियाँ को छोड़कर चली गयीं , पिता ने बच्चों की परवरिश के लिये गोरखपुर से कुशीनगर जाने वाले मुख्य मार्ग के माड़ापार बाईपास पर चाय पानी का एक छोटा सा होटल डाल रखा था , जहाँ पर पुष्पा भी पिता का हाथ बँटाया करती थी । विगत पाँच साल पुर्व पिता का साया भी बच्चों के सिर से उठ गया , अब इस चाय की दुकान को पुष्पा के बड़े भाई चलाते हैं । घर की गरीबी और अपने भाई बहन के जीवन में खुशियाँ भरने के लिये पुष्पा ने बचपन से ही मेहनत को एक शस्त्र की तरह इस्तेमाल किया वह हर सुबह उठती थी और दौड़ लगाती थी, उसको ललक थी किसी भी पुलिस की भर्ती या सेना आदि में जाने की लेकिन वो कहते हैं ना कि जब आप सच्चे मन से अपनी कोशिश करेंगे तो किसी ना किसी रूप में आपको रास्ता दिखाने वाले या मंजित तक पहुँचाने वाले लोग मिल ही जायेंगे।

तो वही हुआ पुष्पा के भी साथ जब होटल पर चाय आदि पीने आने वाले एक सज्जन ग्राहक ने पुष्पा को ना सिर्फ प्रोत्साहित किया बल्कि उसकी मदद भी की और उसे गोरखपुर रेल्वे स्टेडियम में कुश्ती लड़ने की ट्रेनिंग लेने की राह सुझाया । अब क्या था पुष्पा को एक नयी किरन दिखाई देने लगी वह अपने पिता के साथ गांव के ही एक सीनियर पहलवान जी के साथ गोरखपुर रेल्वे स्टेडियम के कुश्ती कोच से मिली और लगातार प्रैक्टिस करने लगी , देखते ही देखते उसकी मेहनत रंग लाने लगी और वह जिला स्तरीय, प्रदेश स्तरीय कुश्ती से होते हुए फाईनली नेशनल लेबल पर गोवा में होने वाले 2021 में जुनियर नेशनल प्रतियोगिता में रजत पदक जीता था । उससे पहले भी 2018 के सब जुनियर वर्ल्ड चैम्पियनशीप में तथा बाद में सीनियर एशियन चैम्पियनशीप 2024 में भी भाग लिया था लेकिन वहाँ वह कोई पदक हासिल न कर सकी थीं ।

ऐसे किया यह स्वर्ण पदक हासिल

पुष्पा यादव ने पहले महाराष्ट्र के पुणे और राजस्थान के जयपुर में होने वाले नेशनल चैम्पियनशीप में रजत पदक जीतकर एशियाई चैम्पियनशीप के लिये होने वाली चयन प्रक्रिया को क्वालिफाई किया तदोपरान्त पुष्पा ने एशियाई चैम्पियनशीप के लिये चयन ट्रायल में नई दिल्ली के इंदिरा गाँधी स्टेडियम में शानदार प्रदर्शन किया था जो कि अंतर राष्ट्रिय कुश्ती के लिये उनका यह सबसे उम्दा प्रदर्शन था जो 10 जून 2024 को हुआ था।

वैसे तो अब कुछ ही जागरूक गाँव बचे हैं जहाँ पर कुश्ती और दंगल लड़ने के लिये अखाड़े अस्तित्व में बचे हैं , जिनमें से एक अखाड़ा है गोरखपुर के माड़ापार गाँव में जो लगभग 117 वर्षों से यहाँ के और अगल बगल के कुछ पहलवानों द्वारा चलाया जा रहा है। इसी गाँव के रहने वाले दीपक कुमार सिंह “दीपू” जो कि कुशीनगर कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी हैं , उन्होंने पुष्पा के रूझान को देखते हुए उसके पिता और पुष्पा को गोरखपुर रेल्वे स्टेडियम में कोच के तौर पर न्युक्त चन्द्रविजय सिंह से मिलवाया था। जिनसे पुष्पा को बेहतर प्रशिक्षण तो मिला ही साथ ही साथ जे एस डब्ल्यू एकेडमी में ट्रायल देने का मौका भी मिला इसमें सफलता मिलने के बाद उसे वहीं बैंगलोर में प्रशिक्षण लेने का मौका भी मिल गया और इस तरह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर व कुशीनगर के बीच बसे एक साधारण से गाँव से निकल कर एक गरीब परिवार की लड़की , जो बिना माँ के प्यार की पली बढ़ी बेटी थी , जिसकी बड़ी बहन ने उसका खासा खयाल रखा था। आज वो सबकी लाडली बन गयी है और न सिर्फ अपने स्वर्गीय माता – पिता या अपने भाई – बहनों का बल्कि समूचे देश का नाम रौशन कर रही है। इस बेटी के लिये आप क्या कहेंगे जिसने अपने गाँव , जिले और प्रदेश का नाम गर्व से ऊंचा किया है ! पुष्पा यादव के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए रीयल रिपोर्टर न्यूज उन्हें ढ़ेरों शुभकामनाएं प्रेषित करता है।
जय जयकार जारी रहेगी !
जय हिन्द ! जय भारत !!
लभ यू इंडिया !!!

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