लद्दाख से अरुणाचल तक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक साथ 125 बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का किया उद्घाटन
रक्षा मंत्री बॉर्डर प्रोजेक्ट्स: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक एक साथ 125 महत्वपूर्ण बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया। BRO द्वारा निर्मित ये सड़कें, पुल और सुरंगें भारत-चीन सीमा पर रणनीतिक मजबूती व सैन्य आवागमन को बढ़ाएंगी। आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत की दिशा में बड़ा कदम।

आज का दिन भारतीय सेना और सीमा सड़क संगठन (BRO) के लिए ऐतिहासिक है। आज सुबह रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक साथ 125 बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास किया। ये प्रोजेक्ट्स लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर सहित सभी संवेदनशील सीमावर्ती राज्यों में फैले हुए हैं।
कुल लागत? करीब 3,800 करोड़ रुपये! कुल लंबाई? 2,900 किलोमीटर से ज्यादा की सड़कें, दर्जनों पुल, 3 सुरंगें और कई सामरिक महत्व के ट्रैक।
लेकिन आंकड़े तो सिर्फ आंकड़े हैं। असली कहानी इन सड़कों के पीछे की है।
कल्पना कीजिए:
- वो जवान जो -40 डिग्री में दौलत बेग ओल्डी तक सामान ढोता था, अब वहाँ पक्की सड़क और सुरंग से 2 घंटे में पहुँच जाएगा।
- अरुणाचल के तवांग सेक्टर में जहाँ पहले हेलिकॉप्टर ही एकमात्र विकल्प था, अब 100 टन तक का टैंक भी पहुँच सकेगा।
- सियाचिन के बेस कैंप तक अब ऑल-वेदर कनेक्टिविटी होगी, मतलब हमारे जवानों को अब बर्फीले तूफान में राशन के लिए इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।
रक्षा मंत्री बॉर्डर प्रोजेक्ट्स: खास बातें जो आज के इस कार्यक्रम में सामने आईं:
- नेलांग-जादुंग हाईवे (उत्तराखंड) – चीन सीमा से सिर्फ 10 किमी दूर, अब पूरी तरह तैयार।
- लद्दाख में दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल सड़क उमलिंग ला पास को जोड़ने वाली नई लिंक रोड।
- अरुणाचल में सेला टनल के साथ-साथ 8 और नए पुल जो बाढ़ में भी नहीं डूबेंगे।
- जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा से सटे 22 प्रोजेक्ट्स – आतंकवादियों को अब घुसपैठ का मौका कम मिलेगा।
राजनाथ सिंह जी ने अपने संबोधन में जो बात कही, वो दिल को छू गई: “ये सड़कें सिर्फ कंक्रीट और डामर की नहीं हैं। ये हमारे जवानों के हौसले की, मातृभूमि की रक्षा की और आत्मनिर्भर भारत के सपने की सड़कें हैं।”
BRO के जवान, जिन्हें हम “कार्मा योगी” कहते हैं, उन्होंने 15,000 फीट से ऊंचाई पर, ऑक्सीजन की कमी में, बिना रुके काम किया। कई जगह तो मशीनें काम नहीं करतीं, वहाँ भी इन्होंने हाथ से चट्टानें काटीं। इनमें से कई प्रोजेक्ट्स 100% भारतीय तकनीक और भारतीय सामग्री से बने हैं – ये Make in India का असली चेहरा है।
- 2020 के गलवान संघर्ष के बाद भारत ने जो स्पष्ट संदेश दिया था कि
- “हम पीछे नहीं हटेंगे”, आज ये 125 प्रोजेक्ट्स उसी संकल्प का जीवंत प्रमाण हैं।
- अब हमारी सेना जहाँ चाहे, जब चाहे, जितनी तेजी से चाहे – पहुँच सकती है।
- अंत में सिर्फ इतना कहूँगा: जब आप अगली बार किसी पहाड़ी सड़क पर गाड़ी चलाएँ
- और सोचें कि “ये सड़क तो बहुत अच्छी बनी है”,
- तो एक पल रुककर उन अनाम BRO कर्मियों को सलाम जरूर करना।
- क्योंकि वो सड़क सिर्फ आपकी सुविधा के लिए नहीं,
- आपके सोते समय आपके घर की सुरक्षा के लिए बनी है।
जय हिंद! जय भारत! भारतीय सीमा पर तिरंगा हमेशा ऊंचा रहे।
