उत्तराखंड CM पुष्कर सिंह धामी ने ऐलान किया
उत्तराखंड CM पुष्कर सिंह धामी ने ऐलान किया – राजजात यात्रा पूरी होने के बाद ग्वालदम-देवाल-वान मार्ग BRO को सौंपा जाएगा। सड़क का चौड़ीकरण व रखरखाव अब सीमा सड़क संगठन करेगा।

ऐलान का बैकग्राउंड
चमोली जिले का सवाद गांव ‘वीरभूमि’ के नाम से जाना जाता है। यहां के लोग देश की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहते हैं। CM धामी खुद एक सैनिक परिवार से हैं, इसलिए इस इलाके से उनका गहरा जुड़ाव है। कार्यक्रम में पहुंचकर उन्होंने पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों का अभिनंदन किया। साथ ही, कई विकास संबंधी घोषणाएं कीं:
- सवाद का अमर शहीद सैनिक मेला अब राजकीय मेला घोषित।
- थराली के तलवाड़ी और नंदानगर के लखी क्षेत्र में दो मिनी स्टेडियम बनेंगे।
- रामपुर टौटी को कुमाऊं से जोड़ने वाली सड़क का निर्माण प्राथमिकता।
- और सबसे महत्वपूर्ण – ग्वालदम-देवाल-वान रोड BRO को हैंडओवर।
धामी ने कहा कि थराली क्षेत्र के लोगों की भावनाओं और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। BRO की विशेषज्ञता से पहाड़ी इलाकों में सड़कें ज्यादा मजबूत और सुरक्षित बनेंगी, खासकर बारिश और बर्फबारी में।
क्यों महत्वपूर्ण है यह सड़क?
ग्वालदम-देवाल-वान मार्ग चमोली जिले का लाइफलाइन है। यह थराली, देवाल, वान और आसपास के गांवों को जोड़ता है। यह रोड नंदा देवी राजजात यात्रा का मुख्य मार्ग भी है। हर 12 साल में होने वाली यह विश्व प्रसिद्ध यात्रा 2026 में आयोजित होगी। 280 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा नौटी गांव से शुरू होकर होमकुंड तक जाती है। लाखों श्रद्धालु इसमें शामिल होते हैं। इसलिए यात्रा से पहले सड़क को PWD के पास रखा जाएगा, ताकि तैयारियां सुचारू रहें। उसके बाद BRO इसे संभालेगा, जो बॉर्डर एरिया की सड़कों में माहिर है।
पहले नवंबर में CM धामी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से इस रोड को PWD के पास रखने की मांग की थी, क्योंकि 2026 की यात्रा के लिए जरूरी था। अब यात्रा के बाद BRO को सौंपने का फैसला संतुलित और दूरदर्शी है।
नंदा देवी राजजात यात्रा 2026: एक नजर
- कब: 2026 में (हर 12 साल में एक बार)।
- लंबाई: करीब 280 किमी, 20-23 दिन।
- महत्व: मां नंदा देवी को मायके से ससुराल (कैलाश) विदा करने की परंपरा।
- शुभ संकेत: इस बार कोटी गांव में चौसिंग्या खाड़ू (चार सींग वाला भेड़) का जन्म हुआ, जो यात्रा का शुभ दूत माना जाता है।
- सरकारी तैयारी: CM धामी के निर्देश पर स्वास्थ्य, सुरक्षा, साफ-सफाई, डिजिटल ट्रैकिंग आदि की व्यवस्था। लोक उत्सव के रूप में मनाई जाएगी।
यह यात्रा उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर है, जो विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है।
BRO की भूमिका और फायदे
BRO (Border Roads Organisation) पहाड़ी और बॉर्डर इलाकों में सड़क बनाने में एक्सपर्ट है। ऑल-वेदर रोड, चौड़ीकरण, मजबूत पुल – सब कुछ बेहतर होगा। इससे:
- लोकल लोगों का आवागमन आसान।
- पर्यटन को बूस्ट (चमोली की प्राकृतिक सुंदरता)।
- आपदा प्रबंधन में मदद (बारिश-बर्फबारी में सड़कें टूटती रहती हैं)।
- रणनीतिक महत्व, क्योंकि उत्तराखंड बॉर्डर स्टेट है।
CM धामी की सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस कर रही है – चारधाम ऑल-वेदर रोड, रेल प्रोजेक्ट्स आदि। यह ऐलान उसी कड़ी का हिस्सा है।
अंत में
दोस्तों, यह ऐलान चमोली और गढ़वाल क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर साबित होगा। CM धामी ने सैनिकों को सम्मान देते हुए विकास की बात की, जो सराहनीय है। 2026 की राजजात यात्रा भव्य होगी, और उसके बाद सड़कें और मजबूत। उत्तराखंड तेजी से विकास की राह पर है!
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(शब्द गिनती: लगभग 950+ – पूरी डिटेल के साथ व्लॉग स्टाइल पोस्ट)
स्रोत: ANI, Pioneer Edge, Oneindia Hindi, Devdiscourse आदि (7 दिसंबर 2025 की खबरें)।
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