मध्यप्रदेश के विदिशा में दो भाई रहते थे, बचपन से दोनों भाईयों में बहुत प्यार था। वो दोनों उम्र में महज दो साल के छोटे बड़े थे अतः हमउम्र लगते थे। बल्कि देखने में बड़ा भाई छोटा और छोटा भाई बड़ा लगता था। बचपन में ही उनके माता-पिता एक मार्ग दुर्घटना में गुजर गये थे। उनका एक चाचा था लेकिन वह नशे का आदी था और उसकी पत्नी भी बहुत अभावों में जीवन यापन कर रही थी इसलिए इनकी परवरिश इनकी बुआ के यहां हुआ था , जब वे बड़े हुए तो वापिस अपने गांव आये और अपने चाचा से अपने हिस्से की जमीन मांगे, चाचा ने अनमने ढ़ंग से उन्हें हिस्सा तो दिया लेकिन उसके मन में एक टीस बैठ गई कि ये लोग न आए होते तो भाई के हिस्से की सारी जमीन जायदाद भी उसी की हो गई होती। यह दोनों भाई बहुत मिल जुल कर रहने लगे, एक दुसरे का हाथ हर काम में बंटा लेना इनकी आदत बन गई थी।

थोड़े दिन बाद बड़ा भाई एक मील में काम पर जाने लगा अब छोटे भाई को घर में खाना बनाना पड़ता था, वह घर का सारा काम भी करता था। इसी बीच उसके चाचा को मौका मिल गया इन दोनों भाईयों के बीच में झगड़ा लगाने का। वह छोटे भाई से कहता कि देखो तुम्हारा भाई खुद तो बाहर जा कर मजे करता है और तुम्हें घर का सारा काम करने के लिए लगा दिया है। ऐसा तो घर का नौकर होता है, यह बात सुनकर छोटे भाई के मन में भी तकलीफ होती थी, जब किसी झूठी बात को बार बार किसी से कहा जाए तो कई बार झूठ भी सच लगने लगता है। वही हुआ भी, छोटा भाई अब अपने बड़े भाई से नाखुश रहने लगा। अब बारी थी बड़े भाई को भड़काने की, मौका देखकर जब एक दिन बड़ा भाई मील से लौट रहा था तभी रास्ते में उसे उसके चाचा ने आवाज दी और उसके साथ बातें करते हुए चलने लगा। उसने कहा कि तुम कितनी मेहनत करते हो, कितना काम करते हो, मील में मजदूर बन गए हो जबकि तुम्हारा छोटा भाई घर में मजे कर रहा है।

वह बहुत काहिल और नाकारा है, वह सिर्फ बैठकर खाना चाहता है। इतना ही नहीं वह तो गांव वालों से तुम्हारी निंदा भी करता है। कहता है मेरे भाई ने मेरे साथ धोखा किया है। इतना सुनते ही बड़े भाई का मुंह उतर गया वह बहुत दुखी हुआ लेकिन उसे चाचा की बातों में विश्वास नहीं हो रहा था। जब वह घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसका छोटा भाई घर का कोई काम नहीं किया है और तो और वह घर पर भी नहीं है। बड़े भाई ने जैसे तैसे घर के सारे काम निपटाये, छोटे भाई का भी खाना बना लिया, जब देर रात छोटा भाई लौटा तो उसका मुंह उतरा हुआ था वह ठीक से अपने बड़े भाई से बात नहीं किया। खाना परोस कर जब बड़े भाई ने छोटे को बुलाया तो वह खाने पर भी नहीं आया। यह देख कर बड़े भाई को बहुत दुख हुआ। वह भी बिना कुछ खाए ही सो गया। कुछ दिन यूं ही बीते ही थे कि उनकी बुआ ने एक दिन बड़े भाई की शादी कराने के लिए एक लड़की ढ़ूढ़ लिया और बड़े की शादी करा दिया।

बड़े भाई को लगा कि शादी हो जाने से सब ठीक हो जाएगा लेकिन हुआ उसका उल्टा। चाचा ने अब छोटे भाई को यह कहकर भड़काना शुरू कर दिया कि देखो तुम्हारे बड़े भाई ने कितना धोखा किया है तुम्हारे साथ, उसने अपनी शादी कर ली अब तो उसके मजे ही मजे हैं, थोड़े दिन बाद उसके बच्चे होंगे और वह तुम्हारे लिए कुछ नहीं करेगा, छोटे भाई को अपने चाचा की यह चाल बिल्कुल समझ नहीं आती थी। बड़े भाई की पत्नी ने घर को बढ़िया से चलाने की पूरी कोशिश किया और उसने अपने देवर को भी कभी पराया नहीं समझा, वह उसका खयाल रखती, समय से खाना खिलाती। सब कुछ ठीक चलने लगा था लेकिन मौका देखकर उसके चाचा ने अब बड़े भाई का फिर से कान भरना शुरू कर दिया। एक रोज चाचा ने कहा, कि तुम तो काम पर चले जाते हो यहां घर पर तुम्हारी बीवी और छोटा भाई मजे करते हैं।

तुम्हारे भाई की नीयत बिल्कुल ठीक नहीं है वह तुम्हारी पत्नी के ही चक्कर में पूरा दिन रहता है। इस बार बड़े भाई को अपने छोटे भाई से और नफ़रत हो गई। वह उसे कहीं काम करने की सलाह देने लगा, जिससे छोटा भाई खुद पर बड़े भाई का संका करना समझने लगा और इनके बीच अब वो बचपन वाला प्यार नहीं रहा। जो कभी एक दूसरे के लिए जान छिड़कते थे वे अब एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे। कुछ दिन यूं ही बीता तब एक दिन चाचा ने छोटे भाई के सामने शादी करने का विचार रखा जिसे वह तुरंत मान गया। छोटे भाई की जब शादी हुई तो उसने अपनी पत्नी को यह समझाया कि मेरा भाई मुझ पर शक करता था, इससे छोटे भाई की पत्नी को भी बड़े भाई और उसकी पत्नी से नफ़रत होने लगी। देखते ही देखते इन दोनों भाईयों की पत्नियों में भी अनबन होने लगी। बड़ा भाई चाहता था कि छोटा भाई कुछ काम धंधा करे और अपने परिवार को ठीक से देख सुन सके लेकिन छोटा भाई समझता था कि बड़ा भाई उससे जलन रखता है, उसे नीचा दिखाना चाहता है। देखते ही देखते दोनों भाईयों में बात चीत पूरी तरह से बंद हो गई और वे दोनों एक दूसरे के दुश्मन बन गए।

 क्या उन दोनों को चाचा या किसी भी तीसरे की बातों में आकर ऐसा करना चाहिए था ? क्या इन दोनों को किसी भी गलतफहमी को अपने मन में जगह देनी चाहिए थी ? अगर ये एक दूसरे से नाराज़ होने की जगह खुल कर बात किए होते तो इनके बीच ये दरार पड़ी होती क्या ? अगर छोटे भाई ने अपनी पत्नी के नजरों में बड़े भाई और भाभी का सम्मान बढ़ाया होता तो ये नौबत आती क्या कि वह अपनी जेठानी या जेठ से नफ़रत करे ? लेकिन वो कहते हैं ना कि भाई जैसा कोई दोस्त भी नहीं होता है और भाई जैसा कोई दुश्मन भी नहीं होता है। यहां पर यही सिद्ध हुआ, छोटी छोटी गलतफहमियों ने एक पवित्र और जन्मों के रिश्ते को तार तार कर दिया। 
आप बने रहियेगा, हमारे साथ हम आयेंगे फिर किसी नई कहानी के साथ। कमेंट करके बताईएगा कि किसके भाई से किसका रिश्ता कैसा चल रहा है और क्यों, इसका कारण क्या है ??
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