शबाना आजमी के उदासी की असली वजह ?
हमने जिनको कई बार ऐसी स्थिति में देखा है कि वो अपने आप को बहुत टूटी हुई सी पाती हैं , एक मद्धिम सी मुस्कान के चिलमन में किसी गम्भीर गम को छूपाने की कोशिश भी तो करती हैं मगर फिर भी वो Esme आप को बहुत ज़्यादा संतुलित रखने का प्रयास भी करती हैं हम Admit कर रहे हैं बॉलीवुड की एक ऐसी अभिनेत्री की जिसे इस ज़माने ने , अलग अंदाज़ में देखा, अट्ठारह सितम्बर को उनका जन्मदिन है ।बिल्कुल अलग भूमिकाओं को करने वाली एक स्वच्छ सामाजिक छवि के साथ अपने आप को मुख्य नायिका के तौर पर खुद को जो साबित कर के रहीं और 160 फ़िल्मों में काम कीं , ज़्यादातर फ़िल्में बिल्कुल साफ़ सुथरी ही नहीं बल्कि कलात्मक और बेहतरीन फ़िल्में रही हैं, उनका तरीका , अभिनय के साथ साथ अच्छे रिश्ते में रहना जरूरी था ।
कैफी आजमी जो एक मशहूर शायर हुआ करते थे और उनकी माँ शौकत आजमी मंच अभिनेत्री हुआ करती थीं उनकी उम्दा परवरिश में पली बढ़ी बेटी और बड़ी होकर मशहूर होने वाली उस अभिनेत्री का नाम है शबाना आजमी !
जैसा कि आप सब जानते हैं शबाना आज़मी हिन्दी सिनेमा के मशहूर गीतकार और कहानीकार जावेद अख़्तर से शादी की हैं, दरअसल जावेद अख़्तर अक्सर कैफी आज़मी साहब के पास उनके घर जाया करते थे अपनी कवितायें सुनाने , अपनी शायरी सुनाने और उनसे कुछ शेरो शायरी के गुर सीखने, वहीं शबाना आज़मी उन्हें देखती थीं , उनका सादगी भरा मजाकिया अंदाज़ , हँसमुख स्वभाव उन्हें बड़ा ही पसंद आता था , जिसकी वजह से वो उनकी ओर खिंची चली आयीं , लेकिन जावेद अख्तर शादीशुदा थे इस वजह से उनकी बात कई बार बनते बनते बिगड़ते भी नज़र आई , लेकिन शबाना आज़मी ने देखा वो कुछ ही दिनों के बाद अपने दो बच्चों की माँ जो उनकी पत्नी थीं , हनी जावेद उनको तलाक़ दे दिए और इस तरह से शबाना आज़मी ने जावेद अख़्तर के साथ शादी कर लिया । ये बात अलग है कि शबाना आज़मी को कोई औलाद नहीं हुई ।
लेकिन शबाना आज़मी ने कभी भी जावेद अख़्तर के दोनों बच्चों फरहान अख़्तर और जोया अख्तर को अपने बच्चों जैसा ही माना उन्हें प्यार दिया और उनके साथ एक अच्छी बॉन्डिंग में रहीं । शबाना आज़मी को ये ग़म हमेशा रहा कि वो माँ नहीं बन सकीं , वो कहती हैं कि किसी भी महिला का माँ ना बन पाना एक बहुत बड़ा अभिशाप जैसा है, यह समाज उन्हें हेय दृष्टि से देखता है यह समाज उस महिला को अधूरा मानता है ! मगर पुरुष के मामले में ऐसा नहीं है पुरुष के सफलता का आयाम दूसरे रूप में देखा जाता है , जैसे कि वो कितना क़ामयाब है ! वह इतना पैसा कमाया है या फिर वो कितना अन्य कुछ मामलों में सफल है !
यह सब मर्द के सफलता का पैमाना होता है लेकिन एक स्त्री के साथ ऐसा नहीं है, उसके साथ हमेशा ये प्रश्न लगा रहता है कि वो माँ बनीं या नहीं बनी ??? बस इसी बात से उसे नापा जाता है लेकिन ऐसे मामलों से उबरने के लिए महिलाओं को हमेशा कोशिश करनी चाहिए , महिलाओं को हमेशा व्यस्त रहना चाहिये, कुछ खास काम करते रहना चाहिए , कोई ऐसा काम जिससे कि वो इस पुरुष प्रधान समाज को जवाब दे सकें कि वह कितनी क़ामयाब है ! यह काफी महत्वपूर्ण है ! बस ये सबसे बेहतरीन तरीक़ा है , अपने आपको व्यस्त रखें और अपने आप को इंपॉर्टेंट बनाये रखें , स्वयं को विशेष बनाएँ ।
इससे आपकी महत्ता बढ़ेगी और आप में वो लोग जो कमियाँ देखते हैं , उसको लोग नज़रअंदाज़ करेंगे और आपकी सफलता को सलाम करेंगे । उन्होंने कहा कि मैं इस स्थिति से उबरने में काफ़ी समय लगायी, लेकिन मैंने अपने आपको उबारा और मैं अपने आपको कभी भी अधूरी नहीं मानती , लेकिन आज आप लोगों को इस लेख के माध्यम से बताना ज़रूरी समझते हैं शबाना आज़मी चाहे भले ही यह बात करती हों कि वो अपने आप में कोई कमी या अधूरापन नहीं महसूस करती हैं लेकिन क्या सच में उनके चेहरे पे एक सिकन सी नज़र नहीं आती है ? सम्भव हो तो इस यक्ष प्रश्न का जवाब तलाशियेगा , मिल जाये तो कमेंट कर के हमें भी बताईयेगा । बाकी रीयल रिपोर्टर न्यूज पर जय जयकार जारी रहेगी !