Viksit Bharat Shiksha : वर्ष 2025 के संसद के शीतकालीन सत्र में भारत सरकार ने Viksit Bharat Shiksha Adhishthan Bill, 2025 पेश किया है, जो देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के नियमन और संचालन में एक बड़ा सुधार लेकर आया है। इस बिल का उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों को अधिक स्वायत्तता और पारदर्शिता देते हुए, उन्हें उत्कृष्टता की नई ऊँचाइयों तक पहुंचाना है। यह बिल भारत के शिक्षा क्षेत्र में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 की दिशा निर्देशों के अनुरूप है।
Viksit Bharat Shiksha Adhishthan Bill क्या है?
यह बिल उच्च शिक्षा क्षेत्र में वर्तमान में विभिन्न नियामक संस्थानों जैसे UGC (University Grants Commission), AICTE (All India Council for Technical Education), और NCTE (National Council for Teacher Education) के कार्यों का समेकन कर एक नया, सशक्त “Viksit Bharat Shiksha Adhishthan” आयोग स्थापित करता है। यह आयोग उच्च शिक्षा संस्थानों को संचालित करने में अधिक स्वतंत्रता, स्वयं शासन की क्षमता, और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए सक्षम बनाता है।

बिल के प्रमुख उद्देश्य और लाभ
- उच्च शिक्षा संस्थानों को स्वायत्तता प्रदान करना ताकि वे नवाचार, अनुसंधान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकें।
- पारदर्शी और सुसंगत मान्यता प्रणाली विकसित करना, जिससे संस्थानों के स्तर और गुणवत्ता की विश्वसनीय समीक्षा हो सके।
- भारत की समृद्ध पारंपरिक ज्ञान, भाषाओं और कलाओं को उच्च शिक्षा में प्रभावी रूप से समाहित करना।
- विभिन्न परिषदों के समन्वय के लिए एक रणनीतिक दिशा निर्धारित करना, जिससे शिक्षा क्षेत्र में बेहतर तालमेल संभव हो।
- केवल मान्यता प्राप्त संस्थान ही ऑनलाइन, डिस्टेंस और डिजिटल शिक्षा प्रदान करने के पात्र हों।
भारत में उच्च शिक्षा व्यवस्था में इसका प्रभाव
इस बिल से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में केंद्रीय और राज्य सरकारों दोनों के बीच बेहतर तालमेल होगा। इससे शिक्षा संस्थान केंद्रीकृत नियंत्रण से निकलकर स्वायत्तता की ओर बढ़ेंगे, जिससे विद्यार्थियों को आधुनिक और विश्व स्तरीय शिक्षा प्राप्त होगी। यह बिल भारत के रोजगारपरक और नवाचार आधारित शिक्षा प्रणाली के निर्माण में मददगार साबित होगा। कुल मिलाकर, यह उच्च शिक्षा के विकास के लिए एक नई नींव रखेगा।
सरकार की पहल और इसके बाद के कदम
इस बिल को भारत के प्रधान मंत्री और शिक्षा मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2025 में स्वीकृति दी है। अब इसे संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया है, जो इसे विस्तार से जांचेगी और आवश्यक संशोधन कर इसे लागू करने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। आगामी वर्षों में इसके प्रभाव से भारत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी बेहतर स्थिति पर होगा।
